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Channel: स्वतंत्रता दिवस
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सरफरोशी की तमन्‍ना

सरफरोशी की तमन्‍ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है। रहबरे राहे मुहब्‍बत रह न जाना राह में

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जब अखबार बने आजादी का हथियार

प्रेस आज जितना स्वतंत्र और मुखर दिखता है, आजादी की जंग में यह उतनी ही बंदिशों और पाबंदियों से बँधा हुआ था। न तो उसमें मनोरंजन का पुट था और न ही ये किसी की कमाई का जरिया ही। ये अखबार और पत्र-पत्रिकाएँ...

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इतिहास के पन्नों से गुमनाम हैं जो शहादतें

ऐसे कितने ही वीरों ने प्राणों की आहुति दीं, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज भी नहीं हो पाईं, देश को स्वतंत्र कराने में उनकी शहदातों को मिली तो केवल गुमनामी। ये देश को स्वंतत्र कराने के लिए अपनी अंतिम साँस...

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भारत में सूचना-क्रांति की नई तस्वीर

आजादी मिले आज साठ वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। ऐसे में विकास की ओर अग्रसर हमारे देश ने आईटी-बीपीओ के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपनी अलग छाप छोड़ी है। आज अगर हम पीछे पलटकर देखें तो पाएँगे कि इस...

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देश सुधर रहा है!

'कानून सर्वोपरि होता है' यह बात भारतीय परिप्रेक्ष्य में जब-तब सिद्ध होती रही है। जब भी लगता है कि देश में सत्ता की निरकुंशता बढ़ती जा रही है, तब-तब कोई न कोई करिश्मा हो जाता है और देश की गिरती साख एक...

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'अहिंसात्मक क्रांति से खुश नहीं था मैं'

मौलाना अबुल कलाम आजाद ने अपनी पुस्तक 'आजादी की कहानी' में भारत छोड़ो आंदोलन के बारे में लिखा है कि कांग्रेस कार्यसमिति का प्रस्ताव प्रकाशित होते ही सारे देश में बिजली की लहर सी दौड़ गई

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वंदे मातरम संस्कृत नहीं संस्कृति है

'वंदे मातरम्‌' के गायन का अर्थ सिर्फ राष्ट्रभक्ति का गान नहीं, बल्कि उन आदर्शों और संकल्पों से अपने आपको नित्य प्रति जोड़ना है, जिन्होंने हमारे देश के स्वतंत्रता संघर्ष को अनुप्राणित किया था।' किंतु...

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हम गुलाम क्‍यूँ हैं

जब भी मैं गरीबों के बारे में सोचता हूँ तो मेरा हृदय पीड़ा से कराह उठता है। बचने या ऊपर उठने का उनके पास कोई अवसर नहीं है। वे लोग हर दिन नीचे, और-और नीचे धँसते जाते हैं। वे निर्दयी समाज के वारों को निरंतर

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देश को कोई बना भी रहा है क्या?

यदि आप पूछते कि देश को कौन बिगाड़ रहा है, तो शायद उत्तर देना ज्यादा आसान होता। सैकड़ों चेहरे जेहन में आ जाते जो मुल्क और इसकी संस्कृति को बर्बाद करने पर तुले हैं। पर क्या देश को कोई बना भी रहा है

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राष्ट्रप्रेम का संकल्प लें

निःसंदेह स्वाधीनता के 60 वर्ष के पश्चात भी यह हमारा दुर्भाग्य ही है कि आज भी भारत में राष्ट्र क्या है, इसकी परिकल्पना क्या है, यह एक दिशाहीन बहस बन चुकी है। जबकि देश कैसे बनता है, इसे कौन बनाता है

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कलम आज उनकी जय बोल

कलम आज उनकी जय बोल जला अस्थियाँ बारी-बारी, छिटकाई जिनने चिनगारी जो चढ़ गए पुण्‍य वेदी पर लिए बिना गरदन का मोल

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राष्ट्र-गान और राष्ट्रीय ध्वज

15 अगस्त को भले ही भारत को आजादी मिली हो, लेकिन हमने अपनी आजादी का गान इसके कई वर्षों पहले ही बनाया और गाया था। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित 'जन-गण-मन..' 27 दिसंबर, 1911 को राष्ट्रीय काँग्रेस के कलकत्ता

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माउंटबेटेन के नाम गाँधीजी का पत्र

मैं तो चकित हूँ कि आप सोचते हैं कि काँग्रेस और लीग, दोनों के पक्ष न्‍यायसंगत हैं और शायद जिन्‍ना की माँगें ज्‍यादा महत्‍व की हैं। मेरा स्‍पष्‍ट मत है कि यह संभव नहीं है। तुलना ही करनी हो तो पूर्ण...

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बा की यादें

भारतीय संस्‍कृति में ऐसे अनेक उदाहरण मिल जाएँगे, जब स्त्रियों ने हर कदम पर अपने पतियों का साथ-साथ दिया और हर डगर पर उनके साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलीं। कस्‍तूरबा गाँधी, बापू जिन्‍हें बा कहा करते थे, ऐसी...

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आजादी आई आधी रात

15 अगस्‍त, 1947 को आधी रात के वक्‍त, जब पूरा देश गहरी नींद में सोया हुआ था, वर्षों की गुलामी के घने कुहरे को भेदती हुई रोशनी की एक लकीर दाखिल हुई और वर्षों की गुलामी के बाद देश ने एक आजाद सुबह में...

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आजादी दिल से...

इक्‍कीस साल की स्‍मृति कहती है कि उनके लिए आजादी के मायने हैं, अपना मनपसंद जीवनसाथी चुनने की आजादी। अपनी बात को समझाते हुए वह आगे कहती हैं कि जिस व्‍यक्ति के साथ हमें अपनी सारी जिंदगी बीतानी है, उसे...

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साठ साल का जवान सिनेमा

आजादी का जश्न साल भर जारी रहेगा क्योंकि साठ साल की उम्र में देश फिर से जवान होने लगा है। तमाम तरह के तराने-गाने अथवा कशीदा काढ़ने के स्‍थान पर हमने अपनी तीसरी आँख से सिनेमा के गुजरे साठ सालों को...

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ये देश है वीर जवानों का

भारतीय सिनेमा ने सांप्रदायिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ावा देने में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दशकों से राष्ट्रप्रेम की भावना से ओतप्रोत उद्देश्यपूर्ण फिल्में

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नियति से सामना

बहुत वर्ष हुए, हमने भाग्य से एक सौदा किया था, और अब अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का समय आ गया है। पूरी तौर पर या जितनी चाहिए उतनी तो नहीं, फिर भी काफी हद तक। जब आधी रात के घंटे बजेंगे, जबकि सारी दुनिया...

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लॉर्ड कर्जन का दरबार

काँग्रेस अधिवेशन समाप्त हुआ, पर मुझे तो दक्षिण अफ्रीका के काम के लिए कलकत्ते में रहकर चेंबर ऑफ कॉमर्स इत्यादि मंडलों से मिलना था। इसलिए मैं कलकत्ते में एक महीने तक ठहरा। इस बार मैंने होटल में ठहरने के...

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आजाद भारत को ब्रिटेन का सलाम

‘विश्‍व में स्‍वतंत्रता से प्रेम करने वाले सभी लोग आपके इस जश्‍न में भागीदार होना चाहेंगे क्‍योंकि सत्‍ता के हस्‍तांतरण पर हमारी आपसी सहमति लोकतंत्र

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आजादी के लिए हिंदुस्तान की उमंग

ऐसा कवि ने कहा है, और उसकी पंक्तियाँ अक्सर उद्धृत की जाती हैं। यह सही है कि पूरब या कम-से-कम उसका वह हिस्सा, जिसे हिंदुस्तान कहते हैं, विचार में डूबना पसंद करता रहा है, और अक्सर उन बातों पर विचार करने...

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साठ वर्ष आजादी के

आजादी के साठ वर्षों में हमारा देश बहुत से उतार-चढ़ावों से गुजरा है। इन वर्षों में जहाँ हमने ढेरों उपलब्धियाँ हासिल कीं, वहीं दूसरी ओर पीड़ा और दुर्दिनों का भी सामना किया। आजादी के इन साठ वर्षों में...

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जब्‍तशुदा नज्‍में

ये आत्मा तो अजर-अमर है निसार तन-मन स्वदेश पर है है चीज क्या जेल, गन, मशीनें, कजा का भी हमको डर नहीं है। न देश का जिनमें प्रेम होवे, दु:खी के दु:ख से जो दिल न रोए,

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आत्‍मनिर्भरता की दिशा में बढ़ते कदम

आजादी के संग्राम के नायक और आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने यह स्वप्न, शायद स्वतंत्रता मिलने के कुछ समय पहले से ही आजाद भारत को विकासशीलता के आसमान के दूसरे सिरे तक पहुँचाने के लिए...

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ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जब लहराया था परचम

हम भारत की आजादी की 60वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। पूरा देश उल्‍लास में नहाया हुआ है। लेकिन हमें यह आजादी एक कठिन राह से गुजरकर और बहुत-सी कुर्बानियाँ देकर हासिल हुई है। इस आजादी की कीमत हमने शहीदों के...

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‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्‍हें आजादी दूँगा’

‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्‍हें आजादी दूँगा’, इस नारे को देश की आजादी के लिए ब्रहृम वाक्‍य का रूप देने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने देश की आजादी के लिए देश से बाहर रहकर संघर्ष किया। उनकी वाणी इतनी...

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सिनेमा के 60 बरस

आजाद भारत के साथ-साथ हिंदी सिनेमा ने भी 60 वर्षों का सफर पूरा किया है। इस पूरे दौर में सिनेमा ने बहुत से उतार-चढ़ाव देखे और महत्‍वपूर्ण उपलब्धियाँ अपने खाते में दर्ज कीं। समय के साथ अभिव्‍यक्ति की...

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आजादी के 60 बरस

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की गोली मारकर हत्या करने वाले हत्यारे नाथूराम गोडसे को 15 नवंबर, 1948 में फाँसी की सजा दी गई थी

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लाठी और लँगोटी वाला एक संत

देश की आजादी का जिक्र हो और राष्‍ट्रपिता का स्‍मरण न आए, यह तो असंभव है। बापू भारत की आत्‍मा में बसते हैं और जब तक भारतरूपी इस महान राष्‍ट्र की आत्‍मा जीवित रहेगी, तब तक इसके अंतर्मन में राष्‍ट्रपिता...

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जिनके लिए आजादी के मायने थे अलग

उनमें सामाजिक शिष्‍टाचार का भी अभाव था। शिक्षा का प्रसार नहीं था, महिलाओं की स्थिति शोचनीय थी। अँग्रेजों ने जब अपने साम्राज्य का विस्तार किया, तो इन कमजोरियों का भरपूर लाभ उठाया

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स्‍वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं का योगदान

इतिहास साक्षी है कि एक कट्टर रूढिवादी हिंदू समाज में इसके पहले इतने बड़े पैमाने पर महिलाएँ सड़कों पर नहीं उतरी थीं। पूरी दुनिया के इतिहास में ऐसे उदाहरण कम ही मिलते हैं

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जनता की देहरी से बहुत दूर है स्वतंत्रता

आज भी सरकारें अपनी राजधानी से स्वतंत्रता दिवस के आयोजन का फरमान निकालती हैं, जो जिला मुख्यालय से तहसील स्तर की पंचायतों तक पहुँचता है और आखिर तिरंगा भी फहरा दिया जाता है

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60 वर्ष स्त्रियों की आजादी के

उपलब्धियों का दूसरा चेहरा स्‍त्री के वस्‍तुकरण, उसे उत्‍पाद और भोग की वस्‍तु बना दिए जाने की शक्‍ल में भी सामने आया है, लेकिन इससे उपलब्धियों का वजन कम नहीं हो जाता

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आज़ाद जन्मदिन का तोहफ़ा

मोहल्ले में लोग आज़ादी की 60वीं वर्षगाँठ की तैयारी में लगे हुए थे। बीच चौराहे पर चमकता-लहराता तिरंगा गाड़ दिया गया था। शर्माजी भी आज ही के दिन अपने 60 वर्ष पूरे कर रहे थे। उस 15 अगस्त को देश में आज़ादी...

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जब स्त्रियों ने उठाई बंदूकें

स्त्रियाँ घर की चारदीवारी से बाहर आ रही थीं और जंग-ए-आजादी में पुरुषों के साथ कदम मिलाकर चल रही थीं। फिरंगियों की लाठी-गोली खाने से लेकर जेल जाने और जुलूस-धरने-प्रदर्शन किसी में भी स्त्रियाँ पुरुषों से...

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