$ 0 0 स्त्रियाँ घर की चारदीवारी से बाहर आ रही थीं और जंग-ए-आजादी में पुरुषों के साथ कदम मिलाकर चल रही थीं। फिरंगियों की लाठी-गोली खाने से लेकर जेल जाने और जुलूस-धरने-प्रदर्शन किसी में भी स्त्रियाँ पुरुषों से कमतर नहीं थीं