मैं तो चकित हूँ कि आप सोचते हैं कि काँग्रेस और लीग, दोनों के पक्ष न्यायसंगत हैं और शायद जिन्ना की माँगें ज्यादा महत्व की हैं। मेरा स्पष्ट मत है कि यह संभव नहीं है। तुलना ही करनी हो तो पूर्ण सातत्य से करें। अगर आपकी नजरों में कायदे-आजम
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