देश सुधर रहा है!
'कानून सर्वोपरि होता है' यह बात भारतीय परिप्रेक्ष्य में जब-तब सिद्ध होती रही है। जब भी लगता है कि देश में सत्ता की निरकुंशता बढ़ती जा रही है, तब-तब कोई न कोई करिश्मा हो जाता है और देश की गिरती साख एक...
View Article'अहिंसात्मक क्रांति से खुश नहीं था मैं'
मौलाना अबुल कलाम आजाद ने अपनी पुस्तक 'आजादी की कहानी' में भारत छोड़ो आंदोलन के बारे में लिखा है कि कांग्रेस कार्यसमिति का प्रस्ताव प्रकाशित होते ही सारे देश में बिजली की लहर सी दौड़ गई
View Articleवंदे मातरम संस्कृत नहीं संस्कृति है
'वंदे मातरम्' के गायन का अर्थ सिर्फ राष्ट्रभक्ति का गान नहीं, बल्कि उन आदर्शों और संकल्पों से अपने आपको नित्य प्रति जोड़ना है, जिन्होंने हमारे देश के स्वतंत्रता संघर्ष को अनुप्राणित किया था।' किंतु...
View Articleहम गुलाम क्यूँ हैं
जब भी मैं गरीबों के बारे में सोचता हूँ तो मेरा हृदय पीड़ा से कराह उठता है। बचने या ऊपर उठने का उनके पास कोई अवसर नहीं है। वे लोग हर दिन नीचे, और-और नीचे धँसते जाते हैं। वे निर्दयी समाज के वारों को निरंतर
View Articleदेश को कोई बना भी रहा है क्या?
यदि आप पूछते कि देश को कौन बिगाड़ रहा है, तो शायद उत्तर देना ज्यादा आसान होता। सैकड़ों चेहरे जेहन में आ जाते जो मुल्क और इसकी संस्कृति को बर्बाद करने पर तुले हैं। पर क्या देश को कोई बना भी रहा है
View Articleराष्ट्रप्रेम का संकल्प लें
निःसंदेह स्वाधीनता के 60 वर्ष के पश्चात भी यह हमारा दुर्भाग्य ही है कि आज भी भारत में राष्ट्र क्या है, इसकी परिकल्पना क्या है, यह एक दिशाहीन बहस बन चुकी है। जबकि देश कैसे बनता है, इसे कौन बनाता है
View Articleकलम आज उनकी जय बोल
कलम आज उनकी जय बोल जला अस्थियाँ बारी-बारी, छिटकाई जिनने चिनगारी जो चढ़ गए पुण्य वेदी पर लिए बिना गरदन का मोल
View Articleराष्ट्र-गान और राष्ट्रीय ध्वज
15 अगस्त को भले ही भारत को आजादी मिली हो, लेकिन हमने अपनी आजादी का गान इसके कई वर्षों पहले ही बनाया और गाया था। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित 'जन-गण-मन..' 27 दिसंबर, 1911 को राष्ट्रीय काँग्रेस के कलकत्ता
View Articleमाउंटबेटेन के नाम गाँधीजी का पत्र
मैं तो चकित हूँ कि आप सोचते हैं कि काँग्रेस और लीग, दोनों के पक्ष न्यायसंगत हैं और शायद जिन्ना की माँगें ज्यादा महत्व की हैं। मेरा स्पष्ट मत है कि यह संभव नहीं है। तुलना ही करनी हो तो पूर्ण...
View Articleबा की यादें
भारतीय संस्कृति में ऐसे अनेक उदाहरण मिल जाएँगे, जब स्त्रियों ने हर कदम पर अपने पतियों का साथ-साथ दिया और हर डगर पर उनके साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलीं। कस्तूरबा गाँधी, बापू जिन्हें बा कहा करते थे, ऐसी...
View Articleआजादी आई आधी रात
15 अगस्त, 1947 को आधी रात के वक्त, जब पूरा देश गहरी नींद में सोया हुआ था, वर्षों की गुलामी के घने कुहरे को भेदती हुई रोशनी की एक लकीर दाखिल हुई और वर्षों की गुलामी के बाद देश ने एक आजाद सुबह में...
View Articleआजादी दिल से...
इक्कीस साल की स्मृति कहती है कि उनके लिए आजादी के मायने हैं, अपना मनपसंद जीवनसाथी चुनने की आजादी। अपनी बात को समझाते हुए वह आगे कहती हैं कि जिस व्यक्ति के साथ हमें अपनी सारी जिंदगी बीतानी है, उसे...
View Articleसाठ साल का जवान सिनेमा
आजादी का जश्न साल भर जारी रहेगा क्योंकि साठ साल की उम्र में देश फिर से जवान होने लगा है। तमाम तरह के तराने-गाने अथवा कशीदा काढ़ने के स्थान पर हमने अपनी तीसरी आँख से सिनेमा के गुजरे साठ सालों को...
View Articleये देश है वीर जवानों का
भारतीय सिनेमा ने सांप्रदायिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ावा देने में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दशकों से राष्ट्रप्रेम की भावना से ओतप्रोत उद्देश्यपूर्ण फिल्में
View Articleनियति से सामना
बहुत वर्ष हुए, हमने भाग्य से एक सौदा किया था, और अब अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का समय आ गया है। पूरी तौर पर या जितनी चाहिए उतनी तो नहीं, फिर भी काफी हद तक। जब आधी रात के घंटे बजेंगे, जबकि सारी दुनिया...
View Articleलॉर्ड कर्जन का दरबार
काँग्रेस अधिवेशन समाप्त हुआ, पर मुझे तो दक्षिण अफ्रीका के काम के लिए कलकत्ते में रहकर चेंबर ऑफ कॉमर्स इत्यादि मंडलों से मिलना था। इसलिए मैं कलकत्ते में एक महीने तक ठहरा। इस बार मैंने होटल में ठहरने के...
View Articleआजाद भारत को ब्रिटेन का सलाम
‘विश्व में स्वतंत्रता से प्रेम करने वाले सभी लोग आपके इस जश्न में भागीदार होना चाहेंगे क्योंकि सत्ता के हस्तांतरण पर हमारी आपसी सहमति लोकतंत्र
View Articleआजादी के लिए हिंदुस्तान की उमंग
ऐसा कवि ने कहा है, और उसकी पंक्तियाँ अक्सर उद्धृत की जाती हैं। यह सही है कि पूरब या कम-से-कम उसका वह हिस्सा, जिसे हिंदुस्तान कहते हैं, विचार में डूबना पसंद करता रहा है, और अक्सर उन बातों पर विचार करने...
View Articleसाठ वर्ष आजादी के
आजादी के साठ वर्षों में हमारा देश बहुत से उतार-चढ़ावों से गुजरा है। इन वर्षों में जहाँ हमने ढेरों उपलब्धियाँ हासिल कीं, वहीं दूसरी ओर पीड़ा और दुर्दिनों का भी सामना किया। आजादी के इन साठ वर्षों में...
View Articleजब्तशुदा नज्में
ये आत्मा तो अजर-अमर है निसार तन-मन स्वदेश पर है है चीज क्या जेल, गन, मशीनें, कजा का भी हमको डर नहीं है। न देश का जिनमें प्रेम होवे, दु:खी के दु:ख से जो दिल न रोए,
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